क्या आपके पास भी है ATM, तो जरूर जानें ये नियम ATM अपडेट

क्या आपके पास भी है ATM, तो जरूर जानें ये नियम ATM अपडेट Do you also have an ATM? Then you must know these rules ATM update

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ATM अपडेट: ATM इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए एक अहम जानकारी सामने आई है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ATM ट्रांजैक्शन के लिए चार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इस बदलाव का असर देशभर के सभी बैंक ग्राहकों पर पड़ेगा, खास तौर पर उन पर जो ATM का नियमित इस्तेमाल करते हैं। नए नियम लागू होने पर ग्राहकों को फ्री लिमिट के बाद हर ट्रांजैक्शन पर ज्यादा पैसे देने होंगे।

क्या हैं मौजूदा नियम?

भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के मुताबिक, हर बैंक ग्राहक को हर महीने कुछ फ्री ATM ट्रांजैक्शन मिलते हैं। मेट्रो शहरों में यह लिमिट अपने बैंक के ATM पर 5 ट्रांजैक्शन और दूसरे बैंक के ATM पर 3 ट्रांजैक्शन की है। नॉन-मेट्रो शहरों में दूसरे बैंकों के ATM पर 5 ट्रांजैक्शन तक फ्री हैं। इस लिमिट के बाद हर अतिरिक्त ट्रांजैक्शन पर फिलहाल 21 रुपये का चार्ज लगता है, जिसमें GST अलग से है।

क्या हैं प्रस्तावित नए चार्ज?

एनपीसीआई के नए प्रस्ताव के अनुसार, फ्री लिमिट के बाद प्रत्येक एटीएम ट्रांजेक्शन पर लगने वाला शुल्क 21 रुपये से बढ़ाकर 22 रुपये किया जा सकता है। इंटरचेंज चार्ज, जो एक बैंक दूसरे बैंक से लेता है, उसे 17 रुपये से बढ़ाकर 19 रुपये करने की सिफारिश की गई है। साथ ही, बैलेंस चेक करने या मिनी स्टेटमेंट लेने जैसे गैर-नकद ट्रांजेक्शन शुल्क को 6 रुपये से बढ़ाकर 7 रुपये करने का प्रस्ताव है।

इंटरचेंज चार्ज क्या है?

इंटरचेंज चार्ज एक तकनीकी शब्द है जिसका अर्थ समझना महत्वपूर्ण है। यह वह शुल्क है जो एक बैंक दूसरे बैंक को तब देता है जब उसका ग्राहक दूसरे बैंक के एटीएम का उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका भारतीय स्टेट बैंक में खाता है और आप एचडीएफसी बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो एचडीएफसी बैंक एसबीआई से इंटरचेंज चार्ज वसूलेगा। अंत में, यह शुल्क ग्राहक के खाते से काट लिया जाता है।

शुल्क वृद्धि के पीछे कारण

एनपीसीआई के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में एटीएम के रखरखाव और संचालन की लागत में काफी वृद्धि हुई है। एटीएम मशीनों की सुरक्षा, रखरखाव, नकदी प्रबंधन और तकनीकी उन्नयन की लागत में वृद्धि के कारण बैंकों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है। इसलिए, इस बोझ को संतुलित करने के लिए बैंकों ने लेनदेन शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिसका बोझ अंततः ग्राहकों पर ही पड़ेगा।

कौन से ग्राहक सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे?

इस प्रस्तावित बदलाव का सबसे ज़्यादा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो नियमित रूप से एटीएम से नकदी निकालते हैं। खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग, जहाँ डिजिटल भुगतान की पहुँच सीमित है और जो लोग अभी भी नकद लेन-देन को प्राथमिकता देते हैं, इस बदलाव का असर ज़्यादा महसूस करेंगे। साथ ही, छोटे व्यापारी जो अपने रोज़मर्रा के काम के लिए अक्सर एटीएम से पैसे निकालते हैं, उन्हें भी अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

इन नए प्रस्तावित शुल्कों को देखते हुए, ग्राहकों को अपनी निकासी की आदतों पर पुनर्विचार करना चाहिए। एटीएम से बार-बार छोटी रकम निकालने के बजाय, एक बार में बड़ी रकम निकालना ज़्यादा किफ़ायती हो सकता है। साथ ही, UPI, नेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट और डेबिट/क्रेडिट कार्ड जैसे डिजिटल भुगतान विकल्पों का ज़्यादा इस्तेमाल करने से एटीएम से लेन-देन की ज़रूरत कम हो सकती है।

बैंकिंग की आदतों को बदलने की ज़रूरत

बढ़ते एटीएम शुल्कों के साथ, ग्राहकों को अपनी बैंकिंग की आदतों को बदलने की ज़रूरत है। कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे भारत में डिजिटल भुगतान के तरीके ज़्यादा सुविधाजनक और किफ़ायती विकल्प बनते जा रहे हैं। UPI जैसे प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए भुगतान करने से न सिर्फ़ लेन-देन शुल्क की बचत होती है, बल्कि यह सुरक्षित और तेज़ भी होता है। बैंक ग्राहकों को डिजिटल माध्यमों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं भी दे रहे हैं।

डिजिटल भुगतान के लाभ

डिजिटल भुगतान के कई लाभ हैं जो एटीएम के उपयोग से अधिक लाभदायक हो सकते हैं। इनमें त्वरित लेनदेन, कभी भी और कहीं भी भुगतान की सुविधा, कागज रहित लेनदेन और लेनदेन का स्पष्ट रिकॉर्ड शामिल हैं। साथ ही, कई डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म कैशबैक और अन्य प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, जो एटीएम से नकद निकासी पर उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, एटीएम शुल्क बढ़ने के साथ, डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ना वित्तीय रूप से समझदारी भरा कदम हो सकता है।

नियमित निगरानी की सलाह दी जाती है

ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से अपने बैंक खातों की निगरानी करें और एटीएम लेनदेन की संख्या पर नज़र रखें। अधिकांश बैंक अपने मोबाइल बैंकिंग ऐप या इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल पर महीने के दौरान किए गए एटीएम लेनदेन की संख्या दिखाते हैं। इससे ग्राहकों को यह जानने में मदद मिल सकती है कि वे मुफ़्त सीमा के करीब हैं या उससे अधिक हैं। नियमित जाँच से अनावश्यक शुल्क से बचा जा सकता है।

बैंकों से संचार

बैंक अपने ग्राहकों को एसएमएस, ईमेल या पत्र के माध्यम से शुल्क में किसी भी बदलाव के बारे में सूचित करते हैं। ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे इन संचारों को अनदेखा न करें और नए नियमों को समझें। अगर किसी ग्राहक को लगता है कि उनसे अनुचित शुल्क लिया गया है, तो वे अपने बैंक की शिकायत निवारण प्रणाली के माध्यम से इसकी शिकायत कर सकते हैं। अगर बैंक स्तर पर समाधान नहीं मिलता है, तो बैंकिंग लोकपाल जैसे चैनल भी उपलब्ध हैं।

एटीएम ट्रांजैक्शन शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि ग्राहकों को अपनी बैंकिंग आदतों पर पुनर्विचार करने की चेतावनी है। हालांकि कई परिस्थितियों में एटीएम सेवाएँ आवश्यक और अपरिहार्य हैं, लेकिन इनका बुद्धिमानी से उपयोग करके और डिजिटल विकल्पों का लाभ उठाकर ग्राहक अनावश्यक शुल्क से बच सकते हैं। भारत में डिजिटल भुगतान परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, और अब समय आ गया है कि ग्राहक भी इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाएँ। एटीएम सेवाओं की लागत में वृद्धि के साथ, स्मार्ट बैंकिंग आदतों को अपनाना पैसे बचाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।

अस्वीकरण

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। एटीएम ट्रांजैक्शन शुल्क में बदलाव वर्तमान में प्रस्तावित चरण में है और इसके कार्यान्वयन की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपने संबंधित बैंक से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें। विभिन्न बैंकों के नियम और शुल्क संरचना भिन्न हो सकती है। इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य है और विशिष्ट बैंकिंग सेवाओं के लिए अपने बैंक से परामर्श करें। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लें।

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