Big gift to government employees, old pension scheme OPS scheme may be implemented again after 20 years

सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, 20 साल बाद फिर से लागू हो सकती है पुरानी पेंशन योजना OPS योजना Big gift to government employees, old pension scheme OPS scheme may be implemented again after 20 years

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OPS योजना: सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ रही है। 20 साल बाद सरकार पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए यह कदम काफी अहम हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद बेहतर वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। देश के कई राज्य पहले ही पुरानी पेंशन योजना को लागू कर चुके हैं और अब केंद्र सरकार भी इस दिशा में कदम उठा सकती है।

पुरानी पेंशन योजना का इतिहास

केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2004 को पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था और इसकी जगह नई पेंशन प्रणाली (NPS) को लागू किया था। कई राज्यों ने भी इस कदम का अनुसरण किया और वे भी नई पेंशन योजना में शामिल हो गए। हालांकि, इस फैसले के बाद से ही कर्मचारी यूनियनें लगातार नई पेंशन योजना का विरोध कर रही हैं और पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने की मांग कर रही हैं।

राज्य कर्मचारी संघों की मांग

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई पत्र लिखकर पुरानी पेंशन योजना का विकल्प फिर से खोलने की मांग की है। उन्होंने 12 मार्च 2022, 8 अप्रैल 2023, 24 अप्रैल 2023 और 11 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर कर्मचारियों को नई पेंशन व्यवस्था से पुरानी पेंशन व्यवस्था में जाने का विकल्प देने की मांग की है।

नई पेंशन योजना का विरोध

कर्मचारी संगठन नई पेंशन योजना का लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका मानना ​​है कि नई पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि अपर्याप्त है और इससे कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती है। इसके विपरीत पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, जिससे उनका सेवानिवृत्त जीवन आर्थिक रूप से अधिक सुरक्षित रहता था।

कुछ राज्यों में ओपीएस की वापसी

कर्मचारियों के लगातार विरोध को देखते हुए कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपना लिया है। हालांकि इस प्रक्रिया में कई तकनीकी दिक्कतें भी सामने आई हैं। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू किया है, वहां कर्मचारियों को अभी भी नई पेंशन योजना के तहत अंशदान नहीं मिला है, जिससे कई कर्मचारी परेशान हैं।

विकल्प देने की जरूरत

जेएन तिवारी का कहना है कि 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ कर्मचारियों को विकल्प दिया था, लेकिन अब यह विकल्प सभी कर्मचारियों के लिए खुला होना चाहिए। उनका मानना ​​है कि देश और राज्यों के सभी कर्मचारियों को नई या पुरानी पेंशन योजना में से किसी एक को चुनने का मौका मिलना चाहिए, जिस तरह सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को एनपीएस में शामिल होने का मौका दिया है।

केंद्र सरकार की एक समिति का गठन

इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए एक समिति गठित की है और समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की यह समिति भी पुरानी पेंशन योजना का समर्थन करती है।

सरकार के सामने चुनौतियां

एक बड़ी चुनौती यह है कि सरकार ने नई पेंशन योजना को व्यापक रूप से शुरू किया है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। ऐसे में सरकार के लिए इस योजना को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन जेएन तिवारी का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को विकल्प मिलना चाहिए।

राजनीतिक प्रभाव

जेएन तिवारी ने यह भी कहा है कि अगर देश और राज्यों के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प नहीं दिया गया तो सरकार को आगामी पांच राज्यों और लोकसभा चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। यह बयान मुद्दे के राजनीतिक महत्व को दर्शाता है और यह भी संकेत देता है कि कर्मचारी संघ आगामी चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं।

ओपीएस के फायदे

पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनके आखिरी वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है। इसके अलावा हर छह महीने में महंगाई भत्ता भी बढ़ता है, जिससे पेंशन की राशि भी बढ़ जाती है। यह व्यवस्था कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करती है।

एनपीएस के नुकसान

नई पेंशन योजना में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान करते हैं, जिसे बाजार में निवेश किया जाता है। रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जिससे इसमें अनिश्चितता पैदा होती है। इसके अलावा एनपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन ओपीएस से कम हो सकती है, जिसका कर्मचारियों के रिटायरमेंट जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के बाद ही लिया जा सकता है। अगर सरकार OPS को फिर से लागू करने का फैसला लेती है तो लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए यह बड़ी राहत होगी। हालांकि, उसे कई तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने का मुद्दा सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहद अहम है। सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि कर्मचारियों की मांगों और देश की वित्तीय स्थिति के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार का फैसला लाखों कर्मचारियों के भविष्य पर गहरा असर डालेगा।

अस्वीकरण

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने से जुड़ी सभी जानकारी सरकारी घोषणाओं और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित है। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाएगा। कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी पेंशन के बारे में निर्णय लेने से पहले आधिकारिक अधिसूचनाओं की प्रतीक्षा करें और यदि आवश्यक हो तो वित्तीय सलाहकारों से सलाह लें।

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